है अँधेरी रात – Hai Andheri Raat

शेअर करा

कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना थास्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारास्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना थाढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों कोएक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना हैहै अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना …

है अँधेरी रात – Hai Andheri Raat Read More »


शेअर करा