आषाढस्य प्रथम दिवसे अर्थात मेघदूत हिन्दी मे
ऐसा ही एक प्रेमकाव्य हैं ’मेघदूतम’। जिसे दुनियाभर के बुद्धीजीवीयों ने सराहा हैं, चाहा है। यह एक प्रेमसन्देश है। जिसे शापीत यक्ष ने अपनि प्रिया के लिये मेघरुप सन्देशवाहक के साथ भेजा है। यक्ष केवल प्रियतम के लिये सन्देश ही नहि भेजता अपितू मेघ को वहां तक जाने का मार्ग भी बताता है। उस मार्ग में आने वाले नगर, नगरजन, नदियाँ, पर्वत और निसर्ग इन सब की विशेषताओं का भी वर्णन करता है। किंतु प्रेमसन्देश इस काव्य की आत्मा है।